एक विरासत
तो यदि यीशु निजी लाभ के लिए झूठ बोलने से ऊपर थे, तो एक विरासत छोड़ पाने के लिए उनके मौलिक दावे संभवतः गलत साबित हो गए हों। पीटकर गुदा बना देने और सूली पर ठोंक दिए जाने की संभावना अधिकतर संभावित सुपरस्टार के उत्साह को तेजी से ठंडा कर देती।
यहाँ एक और परेशान करने वाला तथ्य है। यदि यीशु पिता परमेश्वर के संतान होने का दावा त्याग देते, तो उनकी कभी निंदा नहीं की जाती। यह उनके ईश्वर होने का दावा और इसका त्याग करने की अनिच्छा थी जिसके कारण उन्हें सूली पर चढ़ाया गया।
यदि अपनी विश्वसनीयता तथा ऐतिहासिक प्रतिष्ठा को बढ़ाना यीशु के झूठ के पीछे की प्रेरणा होती, तो इस बात को समझाना होगा कि कैसे एक यहूदिया गाँव के एक गरीब बढ़ई का बेटा भविष्य की उन घटनाओं का पूर्वानुमान लगा सकता है, जो उसके नाम को विश्वव्यापी प्रमुखता प्रदान करेंगे। उसे कैसे ज्ञात होता कि उसे संदेश बचे रहेंगे? यीशु के अनुयायी भाग खड़े हुए थे और पतरस ने उन्हें त्याग दिया था। एक धार्मिक विरासत आरंभ करने का फॉर्मूला तो यह बिल्कुल ही नहीं है।
क्या इतिहासकार मानते हैं कि यीशु ने झूठ बोला? विद्वानों ने यीशु के नैतिक चरित्र में दोष के प्रमाणों की खोज के लिए उनके शब्दों और जीवन की पड़ताल की है। वास्तव में, सर्वाधिक उत्साही संशयवादी भी यीशु के सदाचार और नैतिक पवित्रता के कारण निस्तब्ध थे।
इतिहासकार फिलिप शैफ़ के अनुसार, धर्म के इतिहास और धर्म-निरपेक्ष इतिहास में इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यीशु ने किसी चीज़ के बारे में झूठ बोला था। शैफ़ तर्क देते हैं, “किस प्रकार तर्क, सामान्य विवेक और अनुभव के नाम पर कोई कपटी, स्वार्थी, दुष्ट व्यक्ति इतिहास में ज्ञात पवित्रतम और महानतम चरित्र को आरंभ से अंत तक पूर्ण सत्यता तथा वास्तविकता के साथ निभाया।?”[23]
झूठ के विकल्प के साथ जाना उन सभी चीजों की विपरीत दिशा में तैरने के समान है जो यीशु ने बताया, और जिनके लिए वे जीये और प्राण त्यागे। अधिकतर विद्वानों के लिए, इसका कोई अर्थ नहीं है। फिर भी, यीशु के दावों का खंडन के लिए कुछ स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने पड़ेंगे। और यदि यीशु के दावे सही नहीं हैं, और वे झूठ नहीं बोल रहे थे, तो एक ही विकल्प शेष रह जाता है कि संभवतः वे खुद को ही धोखा दे रहे हों।