क्या कभी यीशु ने भगवान होने का दावा किया?
तो ऐसा क्या है, जो अनेक विद्वानों को यह विश्वास दिलाता है कि यीशु ने भगवान होने का दावा किया था? लेखक जॉन पाइपर बताते हैं कि यीशु ने ऐसी शक्ति से युक्त होने का दावा किया जो केवल भगवान के पास ही होता है।
“…यीशु के वचनों और कार्यों के कारण उनके मित्र और शत्रु बारंबार विचलित हुए। वह किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह सड़क पर चल रहे होते, फिर मुड़ते और कुछ यूँ कहते, ‘अब्राहम से पहले, मैं था।’ या, ‘यदि तुमने मुझे देख लिया, तो तुमने पिता परमेश्वर को देख लिया।’ या, ईश-निंदा का आरोप लगने के बाद, बहुत शांतिपूर्वक कहते, ‘मनुष्य की संतान को धरती पर पाप को क्षमा करने का अधिकार है।’ मृतकों को वे कुछ इस प्रकार कह सकते थे, ‘आगे बढ़ो,’ या ‘उठो।’ और वे लोग आज्ञापालन करते। समुद्र के तूफान को वे कहते, ‘शांत हो जाओ।’ और पावरोटी को वे कहते, ‘हजार भोजन बन जाओ।’ और ऐसा तत्काल हो जाता।”[7]
परंतु यीशु के इन कथनों का तात्पर्य क्या था? क्या ऐसा संभव है कि मूसा या एलिय्याह, या दानियल की तरह यीशु भी महज एक पैगंबर थे? ईसा चरित का सतही अध्ययन भी यह दर्शाता है कि यीशु ने पैगंबर से ऊपर होने का दावा किया। किसी भी अन्य पैगंबर ने स्वयं के बारे में इस प्रकार का दावा नहीं किया था; वास्तव में, किसी भी अन्य पैगंबर ने स्वयं को परमेश्वर का दर्जा नहीं दिया।
कुछ लोग तर्क देते हैं कि यीशु ने कभी भी स्पष्टतया नहीं कहा कि, “मैं भगवान हूँ।” यह सत्य है कि उन्होंने कभी भी बिल्कुल इन्हीं शब्दों को नहीं कहा कि, “मैं भगवान हूँ।” हालाँकि, यीशु ने कभी स्पष्टतया यह भी नहीं कहा कि, “मैं मनुष्य हूँ,” या “मैं पैगंबर हूँ।” तथापि यीशु निस्संदेह मनुष्य थे, और उनके अनुयायी उन्हें मूसा और एलिय्याह की तरह पैगंबर मानते थे। इसलिए हम यीशु के दिव्य होने को केवल इसलिए नहीं नकार सकते, क्योंकि उन्होंने बिल्कुल उन्हीं शब्दों को नहीं कहा, और न ही यह कह सकते हैं कि वे पैगंबर नहीं थे।
वास्तव में, यीशु के स्वयं के बारे में कथन इस विचार का विरोध करते हैं कि वे बस एक महान व्यक्ति या पैगंबर थे। एक से अधिक अवसरों पर, यीशु ने स्वयं का परमेश्वर की संतान की तरह उल्लेख किया। जब U2 के प्रमुख गायक बोनो से पूछा गया कि क्या वे यीशु के भगवान होने को अवास्तविक मानते हैं, तो उनका उत्तर था:
“नहीं, यह मेरे लिए यह अवास्तविक नहीं है। देखें, यीशु की कहानी का धर्म निरपेक्ष उत्तर कुछ इस प्रकार होता है: वे एक महान पैगंबर थे, स्पष्ट रूप से बहुत दिलचस्प व्यक्ति थे, और एलिय्याह, मोहम्मद, बुद्ध या कन्फ्यूशियस जैसे अन्य महान पैगंबरों की तरह उनके पास भी कहने को बहुत कुछ था। लेकिन यीशु इसकी अनुमति नहीं देते हैं। वे आपको उन्मुक्त नहीं छोड़े देते। यीशु कहते हैं, नहीं। मैं नहीं कहता है कि मैं एक गुरु हूँ, मुझे गुरु मत बुलाओ। मैं यह नहीं कह रहा कि मैं पैगंबर हूँ….मैं कह रहा हूँ कि मैं परमेश्वर का अवतार हूँ।” और लोग कहते हैं: नहीं, नहीं, कृपया केवल पैगंबर रहें। एक पैगंबर को हम स्वीकार कर सकते हैं।”[8]
यीशु के दावों की पड़ताल करने से पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि उन्होंने वे दावे यहूदियों के एक ईश्वर में आस्था (एकेश्वरवाद) के संदर्भ में किया था। कोई भी श्रद्धालु यहूदी एक से अधिक ईश्वर पर विश्वास नहीं करेगा। और यीशु भी केवल एक ही ईश्वर में विश्वास रखते थे, और अपने पिता परमेश्वर, “एकमात्र वास्तविक ईश्वर” से प्रार्थना करते थे।[9]
परंतु उसी प्रार्थना में, यीशु ने अपने पिता परमेश्वर के साथ हमेशा मौजूद होने के बारे में कहा। और जब फिलिप यीशु को पिता परमेश्वर का दर्शन कराने के लिए कहा, यीशु ने कहा, “फिलिप, मैं तुम्हारे साथ इतने लंबे समय से हूँ और तुम मुझे जानते नहीं? जिसने भी मुझे देखा है, उसने को पिता परमेश्वर को देख लिया है।”[10] तो प्रश्न यह है कि: “क्या यीशु यहूदी देवता होने का दावा कर रहे थे जिन्होंने ब्रह्मांड की रचना की थी?”