कब्र की लूट?
ज्यों-ज्यों मॉरिसन अपनी जाँच-पड़ताल जारी रखा, उन्होंने यीशु के अनुयायियों के इरादों की पड़ताल शुरु की। शायद पुनरुत्थान असल में चुराया गया शरीर था। परन्तु यदि ऐसा होता, तो कोई कैसे पुनर्जीवित यीशु के सभी प्रकटनों का जवाब दे? हिस्ट्रीऑफदज्यूज़ में, इतिहासकार पॉल जॉनसन लिखते हैं, “यह मायने नहीं रखता कि उनकी मृत्यु किन परिस्थितियों में हुई, बल्कि यह तथ्य मायने रखता है कि लोगों के बढ़ते हुए समूह द्वारा यह व्यापक और हठपूर्वक विश्वास किया जाता था कि वे पुनः जीवित हो उठे थे।”[20]
कब्र सचमुच में खाली था। परन्तु यह महज शरीर की अनुपस्थिति ही नहीं थी, जिसने यीशु के अनुयायियों को प्रेरित किया हो (विशेष रूप से यदि उन्होंने ने उसे चुराया था)। कुछ तो बहुत आश्चर्यजनक हुआ था, क्योंकि यीशु के अनुयायियों ने मातम मनाना बंद कर दिया, छुपना बंद कर दिया, और बिना भय के दावा करने लगे कि उन्होंने यीशु को जीवित देखा था।
प्रत्येक प्रत्यक्षदर्शी वृत्तांत यह बताता है कि यीशु अपने अनुयायियों, महिलाओं के सामने पहले अचानक सशरीर प्रकट हुए। मॉरिसन यह जानने के लिए उत्सुक थे कि षड्यंत्रकारियों ने इस षड्यंत्र के केंद्र में महिलाओं को क्यों रखा। पहली सदी में, महिलाओं के पास वास्तव में कोई अधिकार, व्यक्तित्व, या प्रतिष्ठा नहीं थी। यदि षड्यंत्र को सफल होना था, तो मॉरिसन तर्क करते हैं कि षड्यंत्रकारी यीशु को पहले जीवित देखने के लिए पुरुषों का वर्णन करते, न की महिलाओं का। और फिर भी हम सुनते हैं कि महिलाओं ने उन्हें छुआ, उनसे बात की, और वे पहली थीं, जिन्होंने खाली कब्र पाया।
बाद में, प्रत्यक्षदर्शी वृत्तांतों के अनुसार, सभी अनुयायियों ने यीशु को दस से ज्यादा भिन्न समय में देखा। वे लिखते हैं कि उन्होंने अपने हाथ और पैर दिखाए तथा उन्हें छूने के लिए कहा। और उन्होंने कथित तौर पर उनके साथ खाया और बाद में एक ही समय अपने 500 से अधिक अनुयायियों के सामने जीवित प्रकट हुए।
कानूनी विद्वान जॉन वारविक कहते हैं, “56 ईसवी में [धर्म प्रचारक पॉल ने लिखा कि 500 से ज्यादा लोगों ने पुनर्जीवित यीशु को देखा और उनमें से ज्यादातर अभी भी जीवित हैं। (1 कुरिन्थियां 15:6 अनुवर्ती पन्ने)। यह विश्वसनीयता की सीमा से परे है कि प्राचीन काल के ईसाईयों ने इस तरह की कहानी गढ़ी हो और उसके बाद उन लोगों के बीच इसका प्रचार किया हो जो बस यीशु के शरीर को प्रदर्शित करके आसानी से उसका खंडन कर सकते थे।[21]
बाइबिल विद्वान गिज़्लर और ट्यूरेक सहमत हैं। “यदि पुनरुत्थान नहीं हुआ था, तो ईसाई धर्म प्रचारक, पॉल ऐसे तथाकथित प्रत्यक्षदर्शियों की सूची क्यों देते? इस घोर झूठ के कारण वे कुरिन्थियों के पाठकों के समक्ष अपनी सारी विश्वसनीयता तत्काल खो देते।”[22]
सीजेरिया में पतरस ने एक भीड़ को कहा कि उन्हें और अन्य अनुयायियो को इतना भरोसा क्यों था कि यीशु जीवित थे।
हम ईसाई धर्म प्रचारक पूरे इज़राइल और यरुशलम में किए गए उनके सभी कार्यों के गवाह हैं। उन लोगों ने उन्हें सूली पर लटका कर मार डाला, परन्तु परमेश्वर तीन दिन बाद पुनर्जीवित हो जाते हैं…. हम लोगों ने ही उनके पुनर्जीवित होने के बाद उनके साथ खाना पिया था। (प्रेरितों के काम 10:39-41)
ब्रिटिश बाइबिल विद्वान माइकल ग्रीन ने कहा, “यीशु का प्रकट होना प्राचीन काल की कोई अन्य चीज़ के समान ही प्रमाणित है। …उनके होने के बारे में कोई भी विवेकपूर्ण संदेह नहीं हो सकता है।”[23]