एक भयावह मृत्यु और फिर . . ?
आपको पता होगा कि यीशु के सांसारिक जीवन का अंतिम समय किस प्रकार का था यदि आपने रोड वारियर/ब्रेव हार्ट मेल गिब्सन द्वारा निर्मित मूवी देखी हो।
अगर आप दपैशनऑफ़दक्राइस्टकेकुछहिस्सोंसेवंचितरहगएथे,क्योंकिआपअपनीआँखोंकोढकेहुएथे(कैमरे पर केवल लाल फिल्टर लगाकर मूवी शूट करना ज्यादा आसान होता), तो केवल अपने न्यू टेस्टामेंट के किसी भी ईसा चरित के पन्नों को पलट कर जानें कि आपसे क्या छूट गया।
जैसा यीशु ने भविष्यवाणी की, उनके अपने ही एक अनुयायी, यहूदा स्कारयोती ने उनके साथ विश्वासघात किया, और वे गिरफ़्तार हुए। रोमन शासक, पीलातुस पिलातुस के अधीन एक झूठे मुक़दमे में उन्हें राजद्रोह का अपराधी पाया गया और लकड़ी के सूली पर मृत्यु की सज़ा सुनाई गई। सूली पर चढ़ाए जाने से पहले, यीशु को एक रोमन चाबुक से बेहरमी से पीटा गया था, जिसमें हड्डी और धातु का टुकड़ा लगा था जो बदन को चीर सकते थे। उनको लगातार घूसे, लात मारे और उन पर थूका गया।
फिर, रोमन जल्लाद ने हथौड़े का उपयोग करके लोहे के कील यीशु की कलाईयों और पैरों में ठोक दिए। अंत में उन्होंने सूली को दो अन्य चोरों को ढोने वाले सूलियों के बीच जमीन के अंदर गड्ढे में गिरा दिया।
यीशु वहाँ छह घंटों तक लटके रहे। फिर, दोपहर 3:00 बजे—यानी लगभग उसी समय जब पासओवर के भेड़ की चढ़ावे के रूप में बलि दी जा रही थी (थोड़ी सी प्रतीकात्मकता, क्या लगता है?)—यीशु चिल्ला उठे, “मैं खत्म हो गया” (अरमी में), और वे चल बसे। अचानक आकाश में अँधेरा छा गया और भूकंप ने धरती को झकझोर दिया।[9]
पीलातुसपीलातुस उनके शरीर को दफ़नाने से पहले इस बात की पुष्टि करना चाहता था कि यीशु सचमुच मर चुके थे। इसलिए एक रोमन पहरेदार ने यीशु के बगल वाले हिस्से में भाला भोंका। शरीर से निकलने वाले खून और पानी का मिश्रण स्पष्ट संकेत था कि यीशु मर चुके थे। फिर यीशु के शरीर को सूली से उतारा गया और अरिमथिया के यूसूफ के कब्र में दफ़ना दिया गया। फिर रोमन पहरेदार ने कब्र को बंद कर दिया, और इसे 24 घंटे पहरेदारी के द्वारा सुरक्षित रखा।
इस दौरान, यीशु के अनुयायी सदमे में थे। डॉ. जे. पी. मोरलैंड बताते हैं कि यीशु द्वारा सूली पर प्राण त्यागने के बाद वे लोग कितने स्तब्ध और व्याकुल थे। “उनमें जरा भी भरोसा नहीं रह गया था कि यीशु परमेश्वर द्वारा भेजे गए हैं। उन्हें यह भी बताया गया था कि परमेश्वर इस मसीहा को मरने नहीं देंगे। इसलिए वे तितर-बितर हो गए। यीशु का आंदोलन अपने मार्ग में पूरी तरह रुक गया।”[10]
सारी आशाएँ गायब हो गईं। रोम और यहूदी नेता जीत गए—या ऐसा प्रतीत हो रहा था।