जीवन हेतु अच्छी तरह समायोजित
भौतिकवादियों के लिए एक मुश्त सृजन घटना के प्रमाण को स्वीकार करना काफी मुश्किल था। लेकिन हमारे ब्रह्मांड के बारे में और अधिक चौंकाने वाली खोज सामने आने वाली थीं।
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि जीवन के अस्तित्व के लिए, प्रकृति के प्रत्येक नियमों को एकदम सटीक रूप से समायोजित होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, गुरुत्वाकर्षण और प्रकृति की अन्य शक्तियों को बहुत ही संकीर्ण मापदंड के भीतर मापना पड़ा होगा अन्यथा हमारे ब्रह्मांड का अस्तित्व नहीं हो सकता था। अगर सृजन करने वाली शक्ति कमज़ोर होती तो गुरुत्वाकर्षण सारे पदार्थों को वापस “बड़े क्रंच” में खींच लेता। अगर यह अधिक मज़बूत होती तो तारे और आकाशगंगाओं का निर्माण न होता।
उसी प्रकार, हमारे सौर मंडल और ग्रहों को भी जीवन के अस्तित्व के लिए बिल्कुल सही होना चाहिए। उदाहरण के लिए, हम सब मानते हैं कि ऑक्सीजन वाले वायुमंडल के बगैर हममें से कोई भी सांस नहीं ले सकता था। और ऑक्सीजन के बिना, जल का अस्तित्व नहीं होता। जल के बगैर हमारी फ़सलों के लिए वर्षा नहीं होती। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सोडियम, कार्बन, कैल्शियम और फ़ोसफ़ोरस जैसे अन्य तत्व भी जीवन के लिए आवश्यक हैं।
हमारे ग्रहों, सूर्य और चांद के आकार और प्रकृति भी बिल्कुल सही होने चाहिए। और भी दर्जनों अन्य स्थितियाँ हैं जिन्हें विशिष्ट तरीके से समायोजित होना चाहिए था अन्यथा हम यह सब विचारने के लिए यहाँ मौजूद नहीं होते।[5]
ईश्वर में आस्था रखने वाले वैज्ञानिक ऐसे समायोजन की अपेक्षा कर सकते थे, लेकिन आस्था न रखने वाले ऐसे असाधारण “संयोग” की व्याख्या करने में असमर्थ थे। अनीश्वरवादी सैद्धांतिक भौतिकविज्ञानी स्टीफ़न हॉकिंस लिखते हैं:
“अनूठा तथ्य यह है कि जीवन का विकास संभव बनाने के लिए इन संख्याओं के मान बहुत अच्छी तरह से समायोजित किए गए प्रतीत होते हैं।”[6]
वैज्ञानिकों ने इस बात का मूल्यांकन किया कि क्या ऐसा असाधारण समायोजन संयोगवश होने की संभावना हो सकती है। सट्टा लगाने वालों को पता होता है कि लंबे शॉट से भी अंततः रेस ट्रैक पर जीता जा सकता है। तो, संयोगवश जीवन के अस्तित्व के ख़िलाफ कितनी संभावनाएं हैं? अधिकतर वैज्ञानिकों के अनुसार हम लोगों के संयोगवश होने की संभावना असंभव है।
ब्रह्मांड विज्ञानियों ने संयोगवश जीवन की संभावनाओं की तुलना पृथ्वी से प्लूटो पर एक छोटे लक्ष्य पर तीर चलाने और लक्ष्य भेदने से की। यदि ऐसा कमाल संभव हो तो आवश्यक अभियांत्रिकी की कल्पना करें। ऐसी संभावनाओं की तुलना प्रत्येक के लिए केवल एक टिकट खरीदने के बाद सौ से अधिक पावरबॉल लॉटरियाँ जीतने से की जाने योग्य है। असंभव—बशर्ते परिणाम किसी के द्वारा गुप्त रूप से निर्धारित न कर दिया गया हो। और अनेक वैज्ञानिक यही निष्कर्ष निकाल रहे हैं—किसी ने गुप्त रूप से ब्रह्मांड की रूपरेखा तैयार की और इसका निर्माण किया।
ये अविश्वसनीय संभावनाएँ महज किसी संयोग और काल द्वारा सिद्ध होने से बहुत दूर हैं। ब्रह्मांड की हमारी इस नई समझ ने जॉर्ज ग्रींसटाइन जैसे खगोलज्ञों को यह पूछने के लिए प्रेरित किया:
“क्या यह संभव है कि अचानक बगैर किसी इरादे के हम लोगों को परमेश्वर के अस्तित्व का वैज्ञानिक प्रमाण मिल गया?”[7]
कुछ भौतिकवादियों ने ब्रह्मांड के सटीक समायोजन का वर्णन एक संयोग के रूप में करने का प्रयास किया। हालाँकि, अन्य लोग यथार्थवाद के प्रति अधिक उदार हैं। एक प्रतिबद्ध अनीश्वरवादी सर फ़्रेड होएल रचयिता के प्रमाण मिलने पर अचंभित होते हुए कहते हैं:
“व्यावहारिक बुद्धि में तथ्यों की विवेचना बताती है कि किसी परम ज्ञान ने भौतिकी समेत रसायन शास्त्र और जीव-विज्ञान के साथ छेड़छाड़ की और यह कि प्रकृति में बात करने योग्य कोई निर्मूल शक्ति नहीं है।”[8]
आइंस्टाइन भी इसी निष्कर्ष पर पहुँचे। हालाँकि आइंस्टाइन धार्मिक व्यक्ति नहीं थे और किसी व्यक्तिगत ईश्वर पर विश्वास नहीं करते थे, उन्होंने ब्रह्मांड के पीछे के रचयिता के बारे में विचार किया और यह कहा कि “इंसानों के सभी सुव्यवस्थित विचार एवं कार्यों से इतनी श्रेष्ठ बुद्धिमता की तुलना बिल्कुल निरर्थक प्रतिबिम्ब प्रतीत होती है।”[9]
वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के निर्माण के पीछे कौन है इसकी व्याख्या के लिए अपनी खोज को जारी रखा है। लेकिन जितनी गहराई में वे जाते हैं हमारे ब्रह्मांड के अवर्णनीय उद्गम और इसके शानदार समायोजन से वे उतने ही विस्मित हो जाते हैं।