एक मुश्त उत्पत्ति
पूरे मानव इतिहास में व्यक्ति विस्मित रूप से तारों को टकटकी लगाकर देखता रहा है और यह विचारता रहा कि वे क्या हैं और वहाँ कैसे पहुँचे। हालाँकि किसी साफ रात में हम केवल 6,000 तारों को ही देख पाते हैं जिनमें से अरबों तारे करोड़ों आकाशगंगाओं में फैले हुए हैं।
हालाँकि, 20वीं सदी से पहले अधिकतर वैज्ञानिक यह मानते थे कि हमारी आकाशगंगा ही संपूर्ण ब्रह्मांड थी और मात्र दस करोड़ तारे ही विद्यमान थे। उस दौरान भी प्रचलित मत यह था कि हमारा भौतिक जगत हमेशा से विद्यमान था।
परंतु 20वीं सदी के आरंभ में खगोलज्ञ एडविन हबल ने खोज की कि वस्तुतः ब्रह्मांड की एक शुरुआत थी। आरंभ एक “आरंभ करने वाले” की ओर संकेत करता है जिसका खुलासा बाइबिल ने दृढ़ता से किया था। सर फ्रेड होएल जैसे संबंधित भौतिकवादियों ने विस्फोट को व्यंग्यात्मक रूप से “बिग बैंग” कहते हुए एक मुश्त उत्पत्ति के विचार का उपहास किया। हालाँकि, उत्पत्ति हेतु प्रमाण बढ़ते गए। अंततः 1992 में, COBE उपग्रह परीक्षणों ने प्रमाणित कर दिया कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति वास्तव में एक मुश्त थी।[3] संदेही व्यक्ति ज़बरदस्त प्रमाणों के कारण शांत हो गए। बेहतर नाम के अभाव में, इस उत्पत्ति को होएल के दिए नाम “द बिग बैंग” से जाना जाने लगा। (“उत्पत्ति पर वापस” देखें)
कई वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया कि उत्पत्ति की यह खोज, पूर्वविधान के उत्पत्ति वृत्तांत से मेल खाती है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि सृजन से पहले पदार्थ और ऊर्जा विद्यमान नहीं हो सकते थे। इसलिए, कई सदीयों के भ्रमात्मक विश्वास के पश्चात् विज्ञान भी बाइबिल से सहमत हुआ कि हर चीज़ शून्य से उत्पन्न हुई।
कुछ वैज्ञानिकों को बाइबिल की इस पुष्टि से बहुत समस्या थी और उन्होंने अन्य स्पष्टीकरण ढ़ूंढे। हालाँकि, COBE प्रयोग के प्रभारी नोबेल पुरस्कार विजेता अनीश्वरवादी वैज्ञानिक, जॉर्ज स्मूट के समान अन्य मानते हैं कि:
“इसमें कोई संशय नहीं कि घटना के रूप में बिग बैंग और शून्य से उत्पत्ति की ईसाई धारणा के बीच समानता मौजूद है।”[4]
COBE प्रयोग और आइंस्टाइन के सिद्धांत दोनों ब्रह्मांड के एक मुश्त सृजन की पुष्टि करते हैं, एक दृष्टिकोण जिसे बाइबिल ने 3500 वर्षों से बनाए रखा है।