वास्तविक यीशु कौन हैं?

यीशु के बारे में सत्य की खोज

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पश्चाताप वह शब्द है जिसका मतलब सोच में एक नाटकीय परिवर्तन है। निक्सन के पूर्व “खतरनाक व्यक्ति” के साथ यहीं हुआ था। वाटरगेट के उजागर होने के बाद, कोल्सन ने जीवन के बारे में भिन्न तरीके से सोचना आरंभ किया। अपनी उद्देश्यहीनता को महसूस करके, उसने अपने एक मित्र द्वारा दिए गए लुईस की मियर क्रिश्चियानिटी पढ़ना आरंभ किया। एक वकील के रूप में प्रशिक्षित, कोल्सन ने एक पीला कानूनी पैड लिया और लुईस के तर्कों को लिखना आरंभ किया। कोल्सन याद करते हैं:

“मैं जानता था कि मेरा समय आ गया है… क्या मैं बगैर किसी रूकावट के अपने जीवन में ईसा मसीह को ईश्वर स्वीकार करता? यह एक तरीके से मेरे सामने एक द्वार जैसा था। उसके बगल से निकल जाने का कोई रास्ता नहीं था। या तो मैं उसके भीतर कदम रखूंगा, या मैं बाहर ही रहूँगा। ‘शायद’ या ‘मुझे और समय की आवश्यकता है’ अपने आप से मजाक करना होता।”

एक अंदरूनी संघर्ष के बाद, अमेरिका के राष्ट्रपति के इस पूर्व सहयोगी ने अंततः अहसास किया कि ईसा मसीह उनकी पूरी निष्ठा के योग्य थे। वे लिखते हैं:

“और इस प्रकार शुक्रवार एकदम सुबह, जब मैं अकेले बैठे हुए समुद्र को निहार रहा था जो मुझे पसंद है, उस दौरान, शब्द जिनके बारे में मैं निश्चित रूप से कह नहीं सकता कि मैं उन्हें समझ पा रहा था या वे बस स्वाभाविक रूप से ही मेरे होठों से निकल पड़े: ‘प्रभु यीशु, मैं आप पर विश्वास करता हूँ। मैं आपको स्वीकार करता हूँ। कृपया मेरे जीवन में आएँ। मैं इसे आपको समर्पित करता हूँ।’”[21]

कोल्सन को पता चला कि उसके प्रश्नों, “मैं कौन हूँ?” “मैं यहाँ क्यों हूँ?” और “मैं कहाँ जाने वाला हूँ?” का उत्तर ईसा मसीह के साथ निजी संबंध में है। धर्म प्रचारक पौलुस लिखते हैं, “यीशु में ही हमें यह पता चलता है कि हम क्या हैं और किस लिए जी रहे हैं।” (इफिसियों 1:11, संदेश)

जब हम ईसा मसीह के साथ निजी संबंध बनाते हैं, तो वे हमारी आंतरिक रिक्तता को भर देते हैं, हमें शांति प्रदान करते हैं, और अर्थ और आशा की हमारी इच्छा को संतुष्ट करते हैं। और हमें हमारी पूर्ति के लिए क्षणिक उत्तेजना के सहारे की आवश्यकता नहीं रहती। जब वे हमारे भीतर प्रवेश करते हैं, वे हमारी वास्तविक, स्थायी प्रेम और सुरक्षा की गहरी अभिलाषाओं और आवश्यकताओं को भी संतुष्ट करते हैं।

और आश्चर्यजनक बात यह है कि ईश्वर स्वयं हमारे संपूर्ण ऋण चुकाने के लिए मानव रूप आए। इसलिए, हम अब पाप के दंड के अधीन नहीं हैं। पौलुस कुलुस्सियों को यह स्पष्ट रूप से कहते हैं जब वे लिखते हैं,

“आप उनके दुश्मन थे, अपने बुरे विचारों एवं कार्यों द्वारा उनसे पृथक, फिर भी वे आपको अपने दोस्त की तरह वापस लाते हैं। उन्होंने ऐसा अपने स्वयं के मानवीय शरीर को सूली पर चढ़ा प्राण त्याग करके किया। परिणामस्वरूप, वे आपको ईश्वर की उपस्थिति में ले आते हैं, और आप पवित्र और बेदाग हो जाते हैं जब आप उनके समक्ष बगैर किसी दोष के खड़े होते हैं।”
(कुलुस्सियों 1:21b-22a NLT)।

इस प्रकार ईश्वर वह कर देते हैं जो हम अपने आप करने में सक्षम नहीं थे। हम यीशु के त्यागपूर्ण मृत्यु द्वारा अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं। यह इस प्रकार है कि कोई जनसंहार करने वाला व्यक्ति जज के सामने हो और उसे पूरा और संपूर्ण क्षमादान दे दिया जाए। वह क्षमादान के योग्य नहीं है, और न ही हम। ईश्वर द्वारा शाश्वत जीवन का उपहार बिल्कुल मुफ़्त है –और यह लेने के लिए है। परंतु इसके बावजूद हमें क्षमादान का प्रस्ताव दिया जाता है, उसे स्वीकार करना हमारे ऊपर है। निर्णय आपका है।

क्या आप अपने जीवन के उस बिंदु पर हैं, जहाँ आप प्रभु के मुफ़्त पेशकश को स्वीकार करना चाहेंगे?

शायद मैडोना, बोनो, लुईस और कोल्सन की तरह, आपका जीवन भी खाली है। आपने जो कुछ भी आजमाया उसने आपके अंदरूनी खालीपन को नहीं दूर किया। ईश्वर उस खालीपन को भर सकते हैं और आपको एक क्षण में परिवर्तित कर सकते हैं। उन्होंने आपको बनाया ताकि आपके जीवन में अभिप्रायों और उद्देश्यों की भरमार हो। यीशु ने कहा, “मेरा उद्देश्य संपूर्ण जीवन प्रदान करना है।” (यूहन्ना 10:10b)

या संभवतः आपके जीवन में चीज़ें सही ढंग से हो रही हैं परंतु आप बेचैन और अशांत हैं। आप महसूस करते हैं कि आपने ईश्वर के नियमों को तोड़ा है और उनके प्रेम और क्षमा से अलग हो गए हैं। आप ईश्वर के दंड से डरते हैं। यीशु ने कहा, “मैं तुम्हारे लिए एक उपहार छोड़ रहा हूँ—मन और हृदय की शांति। और मैं जो शांति देता हूँ, वह दुनिया से मिलने वाली शांति जैसी नहीं है।”

तो या आप बस व्यर्थ अनुसरणों वाली जीवन से थक गए हैं या अपने निर्माता के साथ शांति की कमी से परेशान हैं, इनका उत्तर ईसा मसीह हैं।

जब आप ईसा मसीह में अपना भरोसा रखते हैं, ईश्वर आपके सभी पापों को क्षमा कर देंगे—भूत, वर्तमान, और भविष्य और आपको अपनी संतान बना लेंगे। और उनकी प्यारी संतान के रूप में, वे आपको धरती पर जीवन का उद्देश्य और अभिप्राय प्रदान करते हैं तथा उनके साथ शाश्वत जीवन का भरोसा दिलाते हैं।

ईश्वर के बोल हैं, “जिन्होंने उन पर विश्वास किया और उन्हें स्वीकार किया, उन सबको उन्होंने अपनी संतान होने का अधिकार दिया।” (यूहन्ना 1:12)

पापों के लिए क्षमा, जीवन का उद्देश्य, और शाश्वत जीवन यह सब आपके लिए ही है। आप आस्थापूर्वक प्रार्थना करके बिल्कुल अभी यीशु को अपने जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं। प्रार्थना ईश्वर से बातें करने के समान है। ईश्वर आपके हृदय को जानते हैं और आपके बोल की चिंता नहीं करते क्योंकि वे आपके हृदय की प्रवृत्ति के साथ हैं। एक सुझावित प्रार्थना निम्न है:

“प्रिय ईश्वर, मैं आपको निजी रूप से जानना चाहता हूँ तथा आपके साथ शाश्वत जीवन व्यतीत करना चाहता हूँ। हमारे पापों के लिए यीशु पर प्राण त्यागने के लिए धन्यवाद प्रभु यीशु। मैं अपने जीवन का द्वारा खोल रहा हूँ और अपने उद्धारक और प्रभु के रूप में आपका स्वागत करता हूँ। मेरे जीवन को अपने नियंत्रण में लें और मुझे बदल डालें, तथा मुझे वैसा व्यक्ति बना दें जैसा आप मुझे देखना चाहते हैं।

क्या यह प्रार्थना आपके हृदय की इच्छा को व्यक्त करती है? यदि ऐसा है, तो बस ऊपर सुझावित प्रार्थना को अपनी मातृभाषा में बोलें।

जब आप ईसा मसीह के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं, वे आपके जीवन में प्रवेश कर जाते हैं, और आपके मार्गदर्शक, आपके परामर्शदाता, आपको सांत्वना प्रदान करने वाले तथा आपके सबसे बढ़िया मित्र बन जाते हैं। इसके अतिरिक्त, वे आपको मुसीबतों और प्रलोभनों से निपटने की शक्ति देते हैं, और आपको एक नया अर्थपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण और शक्तिमान जीवन का अनुभव करने के लिए मुक्त कर देते हैं।

चक कोल्सन ने नए उद्देश्य और शक्ति को पाया। कोल्सन निःसंकोच स्वीकार करते हैं कि ईसाई बनने से पहले, वे महत्वाकांक्षी, घमंडी, और आत्म—केंद्रित थे। उनमें जरूरतमंदों से प्रेम करने की कोई इच्छा या शक्ति नहीं थी। परंतु उनके विचारों और इरादों में यीशु के प्रति समर्पित होने के पश्चात् बुनियादी परिवर्तन हुए।

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असली यीशु कौन है?

  • क्या यीशु वास्तव में थे?
  • क्या कोई डा विंची साजिश थी?
  • क्या यीशु भगवान हैं?
  • क्या ईसा चरित सत्य हैं?
  • क्या यीशु, मसीहा थे?
  • क्या यीशु मृत्यु के बाद फिर से जीवित हो उठे थे?
  • क्या यीशु आज प्रासंगिक हैं?

यीशु के बारे में अधिक सवाल

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