श्रीमती यीशु
डा विंची साजिश के दावों में सबसे दिलचस्प भाग यह है कि यीशु और मेरी मग्दलिनी ने गुप्त रूप से विवाह किया था जिससे एक पुत्र हुआ। इसके अतिरिक्त, पुस्तक में प्रसिद्ध होली ग्रेल के रूप में प्रस्तुत यीशु की संतान को संभाले हुए मेरी मग्दलिनी का गर्भ एक रहस्य है जिसे प्रायरी ऑफ़ सायन नामक कैथोलिक संगठन द्वारा गुप्त रूप से रखा गया है। सर आइजै़क न्यूटन, बोत्तीचेल्ली, विक्टर ह्यूगो और लियोनार्डो दा विंची सभी को सदस्यों के रूप में उद्धृत किया गया था।
रोमांस। लांछन। गुप्त प्रेम संबंध। साजिश की परिकल्पना के लिए शानदार मसाला है। परंतु क्या यह सत्य है? आइए देखें विद्वान क्या कहते हैं।
प्रमुख विद्वानों के विचारों का सार प्रस्तुत करने वाली न्यूज़वीक पत्रिका का एक लेख यीशु और मेरी मग्दलिनी द्वारा गुप्त रूप से विवाह कर लेने का कोई ऐतिहासिक आधार न होने का निष्कर्ष देता है।[15] द डा विंची कोड फिलिप के ईसा चरित के एकमात्र पद पर आधारित है जिसमें बताया गया है कि यीशु और मेरी साथी थे। पुस्तक में टीबिंग एक मामला बनाने का प्रयास करता है कि साथी का मतलब पत्नी (कोइनोनोस) हो सकता है। परंतु टीबिंग की परिकल्पना विद्वानों द्वारा स्वीकार नहीं की गई है।
फिलिप के ईसा चरित में एक पद और भी है जो कहता है कि यीशु ने मेरी का चुंबन लिया। मित्रों का स्वागत चुंबन से करना पहली सदी में आम था और उसका कोई कामुक संकेतार्थ नहीं था। परंतु फिर भी अगर द डा विंची कोड की व्याख्या सही है तो इसकी पुष्टि के लिए कोई और ऐतिहासिक दस्तावेज़ नहीं है। और चूंकि फिलिप का ईसा चरित अज्ञात लेखक द्वारा ईसा के मृत्यु के 150-220 वर्ष बाद लिखा गया एक जाली दस्तावेज़ है तो यीशु के बारे में उसका कथन ऐतिहासिक रूप से विश्वसनीय नहीं है।
संभवतः गूढ़ज्ञानवादीयों ने सोचा नवविधान रोमांस के मामले में थोड़ा संकोची था इसलिए थोड़ा चटकदार बनाने का निर्णय लिया। कारण कुछ भी हो, ईसा के दो शताब्दी बाद लिखा गया एक पृथक और अस्पष्ट पद साजिश के सिद्धांत का आधार बनाने लायक नहीं है। पढ़ने में दिलचस्प है परंतु निश्चित रूप से इतिहास नहीं।
होली ग्रेल और प्रायरी ऑफ़ सायन के जैसे ही, ब्राउन का काल्पनिक वृत्तांत फिर से इतिहास को बिगाड़ता है। प्रसिद्ध होली ग्रेल यीशु के अंतिम रात्रि भोजन का प्याला माना जाता है, और उसका मेरी मग्दलिनी से कोई लेना-देना नहीं है। और लियोनार्डो डा विंची कभी प्रायरी ऑफ़ सायन के बारे में नहीं जान सकते थे क्योंकि वह उनकी मृत्यु के 437 वर्ष बाद 1956 तक प्राप्त नहीं हुआ था, । फिर, एक दिलचस्प कल्पना, परंतु नकली इतिहास।
“गुप्त” दस्तावेज़
परंतु टीबिंग के इस खुलासे का क्या जो कहता है “हज़ारों गुप्त दस्तावेज़” साबित करते हैं कि ईसाई धर्म एक छल है? क्या यह सत्य हो सकता है?
अगर ऐसा कोई दस्तावेज़ होता तो विद्वानों के ईसाई धर्म का विरोध करने वाले विद्वानों का उनके साथ प्रतियोगिता दिवस होगा। कपटपूर्ण लेख जो प्रारंभिक गिरजों द्वारा विधर्मी विचारों के कारण अस्वीकृत कर दिया गया था वह सदियों से ज्ञात होने पर भी रहस्य नहीं है। वहां कोई आश्चर्य की बात नहीं थी। उन पर कभी भी ईसाई धर्मप्रचारकों के प्रमाणिक लेखों के हिस्से के रूप में विचार नहीं किया गया।
और अगर ब्राउन (टीबिंग) मनगढ़ंत या शैशव ईसा चरित का संदर्भ दे रहा है तो उसका भी राज़ खुल चुका है। वे रहस्य नहीं हैं और ना ही वे ईसाई धर्म का खंडन करते हैं। नवविधान के विद्वान रेमंड ब्राउन ने गूढ़ज्ञानवादी ईसा चरितों के बारे में कहा,
“हमें ऐतिहासिक यीशु के रहस्य के बारे में प्रमाण योग्य एक भी नया तथ्य नहीं मिला है और केवल कुछ नए कथन मिले हैं जो संभवतः उनके हो सकते हैं।”[18]
ऐसे गूढ़ज्ञानवादी ईसा चरित जिनके लेखक अज्ञात हैं और जो प्रत्यक्षदर्शित नहीं थे उनके विपरीत आज हमारे पास जो नवविधान है वह प्रामाणिकता के अनगिनत परीक्षणों से गुज़रा है। (Jesus.doc पढ़ने के लिए क्लिक करें) साजिश के सिद्धांत को आगे बढ़ाने वालों के लिए अंतर सदमा पहुंचाने वाला है। नवविधान के इतिहासकार एफ. एफ. ब्रूस लिखते हैं:
“विश्व में प्राचीन काल का कोई ऐसा साहित्य नहीं है जो नवविधान की तरह के बढ़िया मूलग्रंथ अनुप्रमाणन की संपन्नता का रसास्वादन करता हो।”[19]
नवविधान के विद्वान ब्रूस मेत्सगर ने खुलासा किया कि क्यों थॉमस के ईसा चरित को प्रारंभिक गिरजा द्वारा नहीं स्वीकार किया गया:
“यह कहना उचित नहीं होता कि थॉमस के ईसा चरित को परिषद के किंचित आदेश द्वारा निकाल दिया गया था: इसे पेश करने का सही ढंग यह है कि थॉमस का ईसा चरित स्वयं निकल गया! वह यीशु के बारे में अन्य साक्ष्य से सुसंगत नहीं हो पाया जिसे प्रारंभिक ईसाइयों ने विश्वासयोग्य स्वीकार किया था।”[17]
“क्या कोई डा विंची साजिश थी?” का वर्णन करने वाले पृष्ठ 10 पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।