मनुष्य का पुत्र
कुछ कहते हैं कि यीशु ने मैं हूँ नाम इस नीयत से नहीं लिया था कि वे परमेश्वर हैं। वे तर्क देते हैं कि यीशु ने स्वयं का उल्लेख “मनुष्य क पुत्र”, के रूप में किया जो यह प्रमाणित करता है कि उन्होंने देवत्व का दावा नहीं किया था। तो “मनुष्य के पुत्र” पद से संदर्भ क्या है और उसका मतलब क्या है?”
पैकर लिखते हैं कि “मनुष्य का पुत्र” नाम ने यशायाह 53 [10] की मसीही भविष्यवाणियों को पूरा करने वाले एक उद्धारक-राजा के रूप में यीशु की भूमिका का उल्लेख किया। यशायाह 53, आने वाले मसीहा का सबसे विस्तृत पैगम्बरी अंश है और स्पष्ट रूप से उन्हें पीड़ितों के उद्धारक के रूप में दर्शाता है। यशायाह ने मसीह का उल्लेख “सामर्थी परमेश्वर,” “पिता-चिर अमर” शांति का राजकुमार” के रूप में भी किया था, यशायाह 9:6)।
इसके अतिरिक्त, कई विद्वान कहते हैं कि “मनुष्य के पुत्र” के बारे में दानिय्येल की भविष्यवाणी के पूरक के रूप में यीशु स्वयं का उल्लेख कर रहे थे। दानिय्येल यह भविष्यवाणी करता है कि “मनुष्य के पुत्र” को मनुष्य के ऊपर अधिकार दिया जाएगा और वह आराधना स्वीकार करेगा:
“मैंने देखा मेरे सामने कोई खड़ा है जो मनुष्य जैसा था, वह आकाश के बादलों पर आ रहा था। वह उस सनातन राजा के सामने आया था सो उसको उसके सामने ले आया गया। उसे अधिकार, महिमा और संपूर्ण शासन मिलेगा, सभी लोग, सभी जातियां और प्रत्येक भाषा-भाषी लोग उसकी आराधना करेंगे।” (दानिय्येल 7:13, 14)
तो यह “मनुष्य का पुत्र” कौन है और उसकी आराधना क्यों की जाती है, जबकि आराधना केवल परमेश्वर ही की होनी चाहिए। यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा था कि जब वे धरती पर वापस आएँगे, “तभी वे मनुष्य के पुत्र को अपनी शक्ति और महान महिमा के साथ बादलों पर आते देखेंगे” (लूका 21:27)। क्या यहाँ यीशु यह कह रहे हैं कि वे दानिय्येल की भविष्यवाणी के पूरक हैं?
परमेश्वर का पुत्र
यीशु ने “परमेश्वर का पुत्र” होने का दावा भी किया था। उपाधि का यह मतलब नहीं है कि यीशु परमेश्वर की जैविक संतान हैं। ना ही शब्द “पुत्र” का तात्पर्य हीनता से है कि मानवीय पुत्र अपने पिता के तत्व से कुछ हीन है। एक पुत्र अपने पिता का डीएनए साझा करता है और यद्यपि वह भिन्न है लेकिन दोनों पुरुष हैं। विद्वान कहते हैं कि शब्द “परमेश्वर का पुत्र” मूल भाषाओं में अनुरूपता, या “समान श्रेणी” का उल्लेख करता है। यीशु का इससे मतलब है कि उनके पास दिव्य तत्व हैं, या 21वीं शताब्दी के शब्दों में “परमेश्वर का डीएनए” है। प्राध्यापक पीटर क्रीफ्ट वर्णन करते हैं।
“यीशु द्वारा स्वयं को ‘परमेश्वर का पुत्र’ कहने से उनका क्या तात्पर्य है? मनुष्य का पुत्र मनुष्य होता है। (‘पुत्र’ और ‘मनुष्य’ दोनों का पारंपरिक भाषा में अर्थ समान रूप से पुरुष और महिला होता है।) वानर का पुत्र वानर होता है। कुत्ते का बच्चा कुत्ता होता है। शार्क की संतान शार्क होती है। और इसलिए परमेश्वर का पुत्र परमेश्वर है। ‘परमेश्वर का पुत्र’ एक दैवीय उपाधि है।”[11]
यूहन्ना 17 में यीशु संसार के आरंभ से पहले की उस महिमा के बारे में बताते हैं जो उन्होंने और परम पिता ने साझा की थी। परंतु क्या स्वयं को “परमेश्वर का पुत्र” कह कर यीशु परमेश्वर के समान होने का दावा करते हैं? पैकर उत्तर देते हैं:
इसलिए, जब बाइबिल यीशु को परमेश्वर के पुत्र के रूप में घोषित करती है, तो कथन का मतलब उनके िस्व्यं परमेश्वर होने का दावा है।”[12]
इसलिए, यीशु जिन नामों का उपयोग अपने लिए करते हैं वे इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि वे परमेश्वर के साथ समानता का दावा कर रहे थे। परंतु क्या यीशु ने परमेश्वर के अधिकार के साथ कुछ बोला और कोई कार्य किया?
पापों को क्षमा करना
यहूदी धर्म में पापों को क्षमा करना केवल परमेश्वर का अधिकार था। क्षमाशीलता हमेशा से निजी रही है; कोई अन्य व्यक्ति अपराधी के लिए क्षमाशील नहीं हो सकता, विशेष रूप से तब जब अपराधी, परमेश्वर हो। परंतु कई अवसरों पर यीशु ने पापियों को क्षमा करने का कार्य इस तरह किया जैसे कि वे परमेश्वर थे। क्रोध से भरे धर्म के अगुआ यीशु पर भड़क उठे जब यीशु ने उनके सामने ही लकवा ग्रस्त व्यक्ति के पापों को क्षमा कर दिया।
“उनको सुनने वाले लेखकों ने इसे ईश-निन्दा कहा! परमेश्वर के सिवाय कौन पापों को क्षमा कर सकता है” (मरकुस 2:7)!
लुईस यीशु को सुनने वाले व्यक्तियों की हैरानी भरी प्रतिक्रिया की कल्पना करते हैं:
‘इसके बाद असली झटका लगा,’ लुईस ने लिखा: ‘इन यहूदियों के बीच अचानक एक ऐसा व्यक्ति आ जाता है जो इस प्रकार बात करता है जैसे वह स्वयं परमेश्वर हो। वह पापों को क्षमा करने का दावा करता है। वह कहता है कि वह हमेशा से मौजूद था। वह कहता है कि अंत में वह दुनिया का निर्णय करने वाला है। अब आइये इसे स्पष्ट करें। भारतीयों की तरह सर्वेश्वरवादियों में कोई भी यह कह सकता है कि वह परमेश्वर का अंश था, या परमेश्वर के साथ था… परंतु चूंकि यह व्यक्ति एक यहूदी था इसका अर्थ इस प्रकार का परमेश्वर नहीं हो सकता। उनकी भाषा में परमेश्वर का अर्थ था जो इस दुनिया से बाहर है, जिसने यह दुनिया बनाई और जो किसी भी अन्य चीज़ से अनंत रूप से पृथक हो। और जब आप यह समझ जाते हैं तो आप पाएँगे कि इस व्यक्ति ने जो कहा था, उससे अधिक चौंकाने वाली बात किसी भी मनुष्य द्वारा कभी नहीं की गई।’[13]