रहस्य बनाम इतिहास
गूढ़ज्ञानवादी ईसा चरित यीशु के जीवन के ऐतिहासिक वर्णन नहीं हैं बल्कि मोटे तौर पर ऐतिहासिक विवरण, जैसे कि नामों, स्थानों, और घटनाओं को छोड़ कर रहस्य में लिपटे हुए गूढ़ वचन हैं। यह नवविधान ईसा चरित के एकदम विपरीत है जिनमें यीशु के जीवन, धर्मसेवा, और वचनों के बारे में अनगिनत ऐतिहासिक तथ्य शामिल हैं। आप किस पर अधिक विश्वास करना चाहेंगे—जो यह कहे कि, “सुनो मेरे पास कुछ ऐसे गुप्त तथ्य हैं जो मेरे सामने रहस्यमय ढ़ंग से प्रकट हुए थे” या जो यह कहे कि, “मैंने सभी प्रमाणों और इतिहास को खोज लिया है और आपके निर्णय के निर्धारण के लिए वे यहाँ दे दिए हैं”? इस प्रश्न को दिमाग में रखते हुए निम्न दो वाक्यों पर विचार करें, पहला थॉमस के गूढ़ज्ञानवादी ईसा चरित (सन् 110-150 ईसवी) से है और दूसरा लूका के नवविधानके ईसा चरित (सन्. 55-70 ईसवी.) से है।
- ये गुप्त कथन हैं जो यीशु ने जीवित रहते हुए बोले थे और जूदास थॉमस दोनों ने दर्ज किए थे।[6]
- कई लोगों ने हमारे बीच होने वाली घटनाओं के बारे में वर्णन किए हैं। उन्होंने स्रोत सामग्री के रूप में हमारे बीच प्रचलित पूर्व अनुयायियों द्वारा दी गईं रिपोर्ट और ईश्वर द्वारा अपने वादों को पूरा करने के ऊपर अन्य प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा दी गईं रिपोर्ट का उपयोग किया है। प्रारंभ से इन सभी वर्णनों का सावधानीपूर्वक परीक्षण करने पर मैंने आपके लिए एक सुविचारित सारांश लिखने का निर्णय लिया है ताकि आपको उस सत्य से पुनःआश्वस्त कराया जाए जो आपको बताया गया था। (लूका 1:1-4, एनएलटी)
क्या आपको लूका का साफ और सच्चा तरीका, आकर्षक लगा? और क्या आपको यह तथ्य विश्वसनीयता के पक्ष में मिला कि वह मूल घटनाओँ के निकट लिखा गया था? अगर हाँ, तो यही प्रारंभिक गिरजा ने भी सोचा था। और अधिकतर विद्वान प्रारंभिक गिरजा के इस विचार से सहमत हैं कि नवविधान ही यीशु का वास्तविक इतिहास है। नवविधान के विद्वान रेमंड ब्राउन ने गूढ़ज्ञानवादी ईसा चरितों के बारे में कहा है कि, “हमें यीशु की ऐतिहासिक धर्मसेवा के बारे में सत्यापित करने वाला कोई एक नया तथ्य भी नहीं मिला और ऐसे केवल कुछ नए कथन मिले हैं जो उनके हो सकते हैं।”[7] अतः कुछ विद्वानों द्वारा गूढ़ज्ञानवादी लेखों से प्रभावित होने के बाद भी उनके बाद के दिनांकन और संदिग्ध लेखन की तुलना नवविधान से नहीं की जा सकती। नवविधान और गूढ़ज्ञानवादी लेखों के बीच का यह अंतर उन लोगों के लिए प्रभावशाली है जो साजिशों को बढ़ावा दे रहे हैं। नवविधान के इतिहासकार एफ.एफ ब्रूस ने लिखा है कि “विश्व में प्राचीन काल का कोई ऐसा साहित्य नहीं है जो नवविधान की तरह के बढ़िया मूलग्रंथ अनुप्रमाणन की संपन्नता का रसास्वादन करता हो।”[8]
क्या यीशु वास्तव में मृत्यु से वापस लौट आए थे?
हमारे समय का सबसे बड़ा प्रश्न “असली ईसा मसीह कौन हैं?” क्या वे केवल असाधारण व्यक्ति थे या वे परमेश्वर का अवतार थे, जैसा कि पौलुस, यूहन्ना और उनके अन्य शिष्य मानते थे?
ईसा मसीह के प्रत्यक्षदर्शी वास्तव में इस प्रकार बोलते और कार्य करते थे जैसे कि उन्हें विश्वास था कि यीशु सूली चढ़ाए जाने के बाद वास्तव में मृत्यु से वापस लौट आए। यदि वे गलत थे तो ईसाई धर्म एक झूठ की नींव पर बना है। परंतु अगर वे सही थे, तो ऐसा चमत्कार उन सब बातों को सिद्ध करेगा जो उन्होंने परमेश्वर, स्वयं, और हमलोगों के बारे में कहा था।
परंतु क्या हमें ईसा मसीह के पुनरुत्थान को केवल आस्था के रूप में मानना चाहिए या इसका कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण भी है? अनेक संशयवादी व्यक्तियों ने पुनरुत्थान की बातों को गलत साबित करने के लिए ऐतिहासिक रिकॉर्ड की पड़ताल आरंभ कर दी। उन्होंने क्या पता लगाया?
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