प्रमाण एक मर्तबान में
हमने एक कोण को छोड़कर हर कोणों से यीशु द्वारा मसीही भविष्यवाणियों को पूरा करने के प्रमाणों को देखा। क्या हो अगर किसी ईसाई धर्म शास्त्री ने यशयाह तथा ओल्ड टेस्टामेंट के मसौदों की प्रतिलिपि बनाई और उनमें परिवर्तन करके उन्हें यीशु के जीवन के अनुकूल बना दिया?
यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसे कई विद्वानों और संशयवादी व्यक्ति ने पूछा है। और यह संभव प्रतीत होता है, यहाँ तक की पहली नजर में विश्वसनीय भी लगता है। यह हमें यीशु को एक झूठे ढोंगी बनने से रोकेगा, जो कि बहुत ही अविश्वसनीय लगता है, और यह भविष्यवाणियों के पूरा होने की आश्चर्यजनक सटीकता को समझाएगा। तो, हमें यह कैसे पता चला कि यशयाह, दानिएल और मिकेयाह जैसी ओल्ड टेस्टामेंट मसीही पुस्तक यीशु के जन्म से सैकड़ों वर्ष पहले लिखे गए थे, जैसा कि कहा जाता है? और यदि वे लिखे गए थे, तो हमें यह कैसे पता चलेगा कि ईसाईयों ने पाठ को बाद में परिवर्तित न कर दिया हो?
1,900 वर्षों से, अनेक संशयवादी व्यक्ति भविष्य का पूर्वानुमान सटीकता से लगाने की मानवीय असंभावना पर आधारित इस सिद्धांत को पकडे़ रहे। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जो ऐसे गुप्त षड्यंत्र के सारे उत्साह को ढंडा कर दिया। जिसका नाम मृत सागर मसौदा था।
आधी सदी पहले, मृत सागर मसौदे की खोज ने बाइबिल विद्वानों को ओल्ड टेस्टामेंट पुस्तकों की प्रतियाँ प्रदान की जो किसी भी मौजूदा प्रति के मुकाबले काफी ज्यादा प्राचीन थे। व्यापक परीक्षणों ने साबित किया कि इनमें से कई प्रतियाँ ईसा मसीह के जीवनकाल से पहले तैयार किए गए थे। और वे वर्तमान में उपयोग हो रहे बाइबिल के पाठ के लगभग समान थे।
फलस्वरूप, यीशु को मसीहा मानने से इनकार करने वाले विद्वान भी मानने लगे कि की ओल्ड टेस्टामेंट की ये पांडुलिपियाँ यीशु के जन्म से पहले की हैं और इस तरह स्वीकार किया कि उनमें समाविष्ट मसीहा के बारे में भविष्यवाणियों को यीशु के अनुकूल बनाने के लिए परिवर्तित नहीं किया गया है।
अगर ये पूर्वानुमान यीशु के जीवनकाल में पूरी सटिकता के साथ पूरे हुए, तो यह आश्चर्य करना तार्किक लगता है कि क्यों इज़राइल में हर कोई यह देख पाने में सक्षम न हो। लेकिन जैसे उनका सूली चढ़ना प्रमाणित करता है, हर कोई यह देख नहीं पाया। जैसा कि परमेश्वर दूत जॉन यीशु के बारे में बताते हैं, “वे खुद अपनी धरती में और अपने लोगों के बीच भी, उन्हें स्वीकार नहीं किया गया था।” (जॉन 1:11, NLT)। क्यों?