अंत तक अटल
जैसे कि चश्मदीद के वृत्तांत मॉरिसन के संशयवाद को चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं थे, वे उनके अनुयायियों के व्यवहार से भी चकित थे। इतिहास का एक तथ्य जिसने तमाम इतिहासकारों, मनोवैज्ञानिकों, और संशयवादियों को समान रूप से चकरा दिया, वह यह है कि ये 11 कायर अचानक ही अपमान, अत्याचार और मृत्यु के लिए तैयार थे। यीशु के एक अनुयायी को छोड़ शेष सभी शहीद के रूप में मारे गए थे। क्या वे ये जानते हुए भी कि उन्होंने शरीर निकाल लिया है, केवल झूठ के लिए इतना कुछ करते?
11 सितंबर को मुस्लिम शहीदों ने यह साबित किया कि कुछ लोग उन गलत ध्येय के खातिर मर जाएँगे जिनमें वे विश्वास करते हैं। फिर भी एक ज्ञात झूठ हेतु शहीद होने के लिए तैयार होना पागलपन है। जैसा कि पॉल लिटिल लिखते हैं, “मनुष्य उस विश्वास के लिए प्राण त्याग सकते हैं, जिन्हें वे सच मानते हैं, हालांकि वास्तव में वह गलत निकल सकता है। हालांकि, वे किसी ऐसी चीज़ के लिए जीवन नहीं त्यागते, जिनके बारे में उन्हें पता हो कि वह झूठ है।”24 यीशु के अनुयायियों ने इस सच्चे विश्वास के अनुकूल व्यवहार किया कि उनके नेता जीवित थे।
किसी ने भी इस बात की पर्याप्त रूप से व्याख्या नहीं की कि क्यों अनुयायी एक ज्ञात झूठ के लिए मरने को तैयार थे। परन्तु फिर भी यदि उन लोगों ने यीशु के पुनरुत्थान के बारे में षड्यंत्र किया था, तो कैसे वे लोग, धन या प्रतिष्ठा के लिए बिके बगैर, इस षड्यंत्र को दशकों तक कायम रख पाए? मोरलैंड लिखते हैं, “जो अपनी निजी हित के लिए झूठ बोलते हैं, वे बहुत दिनों तक एक साथ नहीं रहते, विशेष रूप से तब जब कठिनाई लाभ को कम कर देती हो।”[24]
निक्सन प्रशासन के पूर्व “ खतरनाक व्यक्ति”, वाटरगेट कांड में फंसे चक कोल्सन ने अनेक लोगों द्वारा लंबी अवधि के लिए झूठ को बनाए रखने की कठिनाई के बारे में इशारा किया है।
“मैं जानता हूँ कि पुनरुत्थान एक सत्य है, और वाटरगेट ने मेरे लिए यह साबित किया है। कैसे? क्योंकि 12 लोगों ने गवाही दी कि उन्होंने यीशु को मृत्यु से वापस आते देखा है, और वे उसका दावा 40 वर्षों तक करते रहे, एक बार भी इस बात का खंडन नहीं किया। उनमें से सभी पीटे गए, प्रताड़ित हुए, पत्थर मारे गए और जेल में डाले गए। अगर यह सही नहीं होता तो वे सहन नहीं कर पाते। वाटरगेट ने विश्व के 12 सबसे शक्तिशाली लोगों को आपत्ति में डाला था—और वे तीन सप्ताह तक झूठ बनाए नहीं रख सके। आप मुझे बता रहे हैं कि 12 ईसाई धर्म प्रचारक 40 वर्षों तक एक झूठ बनाए रख सके? बिल्कुल असंभव।”[25]
कुछ ऐसा हुआ जिसने इन पुरुषों एवं महिलाओं का सब कुछ बदल दिया था। मॉरिसन मानते हैं, “जिस किसी ने इस समस्या का सामना किया है उन्हें देर-सबेर ऐसे तथ्य से सामना होता है जिसकी व्याख्या नहीं हो सकती। …यह तथ्य है कि …एक गहरी आस्था लोगों के छोटे समूह में घर कर गई—एक बदलाव जो इस बात को प्रमाणित करता है कि यीशु कब्र से वापस लौट आए थे।”[26]