कोडेक्स सिनाइटिकस की खोज
1844 में जर्मन विद्वान कॉन्सटेंटाइन टिस्शेंडॉर्फ नवविधान की हस्तलिपियों की खोज कर रहे थे। संयोगवश, उन्होंने माउंट सिनाई के सेंट कैथरीन मठ के पुस्तकालय में पुराने पृष्ठों से भरी एक टोकरी देखी। जर्मन विद्वान उल्लासित होने के साथ-साथ हैरान हो गए थे। उन्होंने कभी भी इतनी पुरानी यूनानी हस्तलिपियां नहीं देखी थीं। टिस्शेंडॉर्फ ने पुस्ताकाध्यक्ष से उनके बारे में पूछा और यह जानकर ़डर गए कि पृष्ठों को ईंधन के रूप में उपयोग के लिए खतम कर दिया गया था। ऐसी दो भरी टोकरियों के पृष्ठों को पहले ही जला दिया गया था!
टिस्शेंडॉर्फ के उत्साह ने भिक्षुओं को सजग कर दिया, और उन्होंने और कोई हस्तलिपि उन्हें नहीं दिखाई। हालांकि, उन्होंने टिस्शेंडॉर्फ को उनके खोजे 43 पृष्ठों को ले जाने की अनुमति दे दी।
पंद्रह वर्षों बाद, टिस्शेंडॉर्फ इस बार रूसी ज़ार सिकंदर द्वितीय की सहायता से वापस सिनाई मठ में लौटे। वहाँ पहुंचने के बाद, एक भिक्षु टिसशेंडॉर्फ को अपने कमरे में ले गया और कपड़े में लिपटी हुई एक हस्तलिपि को बाहर निकाला जो कि एक अलमारी में कप और प्लेटों के साथ रखा हुई थी। टिस्शेंडॉर्फ ने तत्काल ही उस हस्तलिपि के बचे हुए मूल्यवान हिस्से को पहचान लिया जिसे उन्होंने पहले देखा था।
मठ, रूस के सार को यूनानी गिरजाघर के संरक्षक के रूप में हस्तलिपि प्रदान करने के लिए सहमत हो गया। 1933 में सोवियत संघ ने ब्रिटिश संग्रहालय को हस्तलिपि £100,000 में बेच दी।
कोडेक्स सिनाइटिकस हमारे पास नवविधान की सबसे प्रारंभिक पूर्ण हस्तलिपियों में से और सबसे महत्वपूर्ण प्रतिलिपियों में से एक है। कुछ व्यक्ति अंदाज़ा लगाते हैं कि यह उन 50 बाइबिलों में से एक है जिसे सम्राट कोनस्टेंटाइन ने यूसेबियस को चौथी सदी की शुरुआत में तैयार करने के लिए अधिकृत किया था। कोडेक्स सिनाइटिकस नवविधान की सत्यता की जांच करने वाले विद्वानों के लिए अत्यधिक मददगार रहा है।